सनातन धर्म/ज्ञान/संस्कृति/ग्रंथ परम्परा में स्त्रीशक्ति के सोलह श्रृंगार की प्रकृति–केन्द्रित मनोवैज्ञानिक अवधारणा

डॉ. राघवेन्द्र मिश्र, जेएनयू के अनुसार, वैदिक काल से ही स्त्री को ईश्वर की सबसे सुंदर रचना माना गया है। प्राचीन ग्रंथों में स्त्री-सौंदर्य और श्रृंगार को प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक बताया गया है। पाली ग्रंथ ब्रह्मजालसुत्त में बीस प्रकार के अलंकरणों का उल्ल
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