उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हलकों में एक बयान इन दिनों काफी चर्चा में है । यह बयान दिया है प्रदश के बड़े नेता और राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी प्रमुख स्वामी प्रसाद मौर्य ने । हालांकि मौर्य अक्सर ऐसे बयान देते रहे हैं जिनको लेकर चर्चा और विवाद होते रहे हैं । परन्तु इस बार उन्होंने जो कुछ भी कहा है उसके बड़े राजनैतिक मायने निकाले जा रहे है हैं ।
दरअसल कभी बसपा सुप्रीमो मायावती पर गंभीर आरोप लगाकर स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी छोड़ दी थी ,लेकिन अब बहनजी की तारीफों के पुल बांधते नजर आ रहे हैं । हाल ही में बाराबंकी में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने न सिर्फ भाजपा, बल्कि सपा पर भी निशाना साधा, लेकिन बसपा पर कोई टिप्पणी करने से परहेज़ किया ।
इतना ही नहीं मौर्य ने मायावती को अब तक का सबसे प्रभावशाली मुख्यमंत्री भी बताया, हालांकि यह भी जोड़ा कि "वो अब पहले जैसी नहीं रहीं। स्वामी प्रसाद मौर्य ने इससे पहले मायावती के भतीजे और बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद को भी बधाई देते हुए कहा कि वे राजनीति में नए हैं और उन्हें अधिक महत्व दिया जाना चाहिए ।
बसपा में वापसी चाहते हैं स्वामी प्रसाद मौर्य ?
लखनऊ के राजनैतिक हलकों में स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान के वैसे तो अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं । लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर हो रही है कि क्या मौर्य नई सियासी संभावना तलाश रहे हैं ? क्या वह फिर से बसपा में वापस लौटना चाहते हैं ?
हालांकि इसके लिए सबसे पहले तो मायावती को मनाना पड़ेगा । यदि वो मान भी जाती हैं तो मौर्य को या तो अपनी अपनी पार्टी का बसपा में विलय करना पड़ेगा या फिर गठबंधन में जाना होगा । हालांकि इसकी संभावना कम ही है । वैसे स्वामी प्रसाद मौर्य के लिए बीएसपी पुराना घर जैसा ही है । एक समय था जब वो मायावती के करीबी नेताओं में शुमार हुआ करते थे , इसलिए उत्तर प्रदेश की राजनीति के कई जानकार ऐसा मानते हैं कि यदि मौर्य कोशिश करें तो शायद मायावती मान भी जाएं ।
बसपा छोड़ने के बाद ठोस राजनैतिक जमीन तलाश रहे मौर्य
कभी उत्तर प्रदेश में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने जब बीजेपी की सरकार और पार्टी छोड़ी उसके बाद से उनके दिन गर्दिश में ही चल रहे हैं । सत्ता और संगठन से विदाई के बाद उन्होंने सपा का दामन थामा, लेकिन न तो खुद का भला कर सके और न ही सपा का । नतीजा ये निकला कि कुछ दिन बाद सपा से भी बाहर का रास्ता देखना पड़ा । अब वह तीसरे मोर्चे की तैयारी में जुटे बताए जाते हैं ।
स्वामी प्रसाद मौर्य की राजनीति के तौर-तरीकों का असर उनकी बेटी की राजनीति पर भी पड़ता दिखा । हालांकि उनकी बेटी ने अभी बीजेपी नहीं छोड़ी है लेकिन पार्टी में पहले वाली स्थिति नहीं रही ।
एक वक्त था जब स्वामी प्रसाद मौर्य बसपा के कद्दावर नेता माने जाते थे और पार्टी सुप्रीमो मायावती के बेहद करीबी माने जाते थे । लेकिन जबसे उन्होंने बसपा का साथ छोड़ा तबसे अबतक राजनैतिक प्रयोग ही कर रहे हैं । पहले बीजेपी में गए, इसके बाद सपा का भी दामन थामा । इस दौरान पद तो मिले लेकिन कद छोटा होता गया ।
अब उनके हालिया बयान यह संकेत दे रहे हैं कि वे शायद एक बार फिर बसपा में वापसी के लिए जमीन तैयार कर रहे हैं। बसपा भी इस समय अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है । ऐसे में पार्टी के पुराने,अनुभवी चेहरों की वापसी का रास्ता खुल सकता है ।