माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ सदर से सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में दोषी पाया गया है। मऊ की सीजेएम कोर्ट ने अब्बास अंसारी को 2 साल की सजा सुनाई है। वहीं, उनके चाचा मंसूर अंसारी को षड्यंत्र में सहयोगी मानते हुए 6 महीने की सजा दी गई है। दोनों पर 2000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
हाई कोर्ट में करेंगे फैसले को चुनौती
कोर्ट के फैसले के बाद अब्बास अंसारी ने मऊ सीजेएम कोर्ट के निर्णय को हाई कोर्ट में चुनौती देने का फैसला किया है। उनका कहना है कि अदालत में उनके पक्ष को सही से नहीं सुना गया, और वे इस फैसले के खिलाफ न्याय की उम्मीद में हाई कोर्ट का रुख करेंगे।
नहीं जाएगी विधानसभा सदस्यता
फैसले के बाद यह सवाल उठ रहा था कि क्या दो साल की सजा मिलने के बाद अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता रद्द हो जाएगी? लेकिन स्पष्ट हो गया है कि उनकी सदस्यता बनी रहेगी। भारतीय कानून के अनुसार, अगर किसी जनप्रतिनिधि को दो साल से ज्यादा की सजा मिलती है, तभी उसकी सदस्यता रद्द होती है। चूंकि अब्बास अंसारी को ठीक दो साल की सजा हुई है, इसलिए उनकी सदस्यता पर कोई खतरा नहीं है।
क्या था हेट स्पीच का मामला?
यह मामला वर्ष 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान का है। एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए अब्बास अंसारी ने कथित तौर पर कहा था कि सरकार बनने के बाद अफसरों को देख लेंगे। इस बयान को लेकर उन पर गंभीर धाराएं लगाई गईं — जिनमें आपराधिक धमकी, चुनावी आचार संहिता का उल्लंघन, सरकारी काम में बाधा डालना, सरकारी कर्मचारी को धमकाना और धर्म-जाति के आधार पर वैमनस्य फैलाना शामिल हैं।
इस मामले में अब्बास अंसारी के चाचा मंसूर अंसारी को षड्यंत्र में सहयोगी होने का दोषी माना गया है। कोर्ट ने उन्हें 6 महीने की सजा सुनाई है, जो संकेत देता है कि इस मामले में उन्हें भी गंभीरता से शामिल माना गया है।