कांग्रेस के नेता कन्हैया कुमार इन दिनों बिहार में 'नौकरी दो, पलायन रोको'अपनी पदयात्रा निकाल रहे हैं। बिहार में आज भी लोग पलायन के दर्द को दिल से अनुभव करते हैं। परदेश जाकर कमाने का दर्द आज भी एक बिहारी मानस को अखड़ता है। यही कारण है कि दशकों से बिहार के औद्योगीकरण की मांग करते रहे। अपनी इस पदयात्रा के क्रम में मंगलवार (25 मार्च) को उनकी पदयात्रा सहरसा पहुंची थी। यहां पर उन्होंने एक दुर्गा मंदिर के प्रांगण में नुक्कड़ सभा की। नुक्कड़ सभा खत्म होने के बाद अगले दिन भगवती स्थान को गंगाजल से धोया गया। यह खबर अब सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोर रही है। कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार का JNU विवाद पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा है। दरअसल, जेएनयू में कन्हैया कुमार ने जो देशविरोधी भाषण दिया था, वह सभी को अभी तक याद है। कन्हैया लगातार देश और धार्मिक मुद्दों को लेकर विवादित बयान देते रहते हैं। कन्हैया कुमार के ऊपर से देशद्रोह का दाग अभी धुला नहीं है। उन्होंने पहले जो विवादित बयान दिए, उससे उनकी छवि ऐसी बन गई है कि उनके मंदिर में आने से पवित्रता भंग हो जा रही है। ऐसा करने वाले लोगों का मानना था कि कन्हैया कुमार की मौजूदगी से मंदिर ‘अपवित्र’ हो गया था। इसलिए हमें इसे गंगाजल से शुद्ध करना पड़ा।
कन्हैया के भाषण के बाद 'शुद्धिकरण'!
कांग्रेस के नेता कन्हैया कुमार ने सिद्ध शक्तिपीठ उग्रतारा मंदिर में पूजा अर्चना की थी। जैसे ही कन्हैया कुमार मंदिर से निकले एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। कुछ स्थानीय लोगों ने मंदिर परिसर में पानी डालकर उसे धोना शुरू कर दिया। पानी से धुलने से भी उनका मन नहीं भरा तो फिर गंगाजल का छिड़काव कर मंदिर को ‘शुद्ध’ करने की प्रक्रिया शुरू की। यह घटना उस विवाद से जुड़ी है, जो कन्हैया कुमार के जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष रहते हुए 2016 में शुरू हुआ था, जब उन पर देशविरोधी नारे लगाने का आरोप लगा था। हालांकि, कन्हैया ने हमेशा इन आरोपों का खंडन किया है। बनगांव के इस मंदिर में उनके प्रवेश और उसके बाद हुई ‘शुद्धिकरण’ की प्रक्रिया ने एक बार फिर इस पुराने विवाद को हवा दे दी।
बिहार की राजनीति में छिड़ गया नया विवाद
इस घटना से न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राजनीतिक हलकों में भी बहस छेड़ दी है। कन्हैया कुमार के विरोधी इसे उनकी कथित देशविरोधी छवि से जोड़कर देख रहे हैं वहीं कन्हैया कुमार और उनके समर्थक इसे धार्मिक आस्था के नाम पर राजनीति करार दे रहे हैं। कन्हैया कुमार एक तरफ बिहार के युवाओं को नौकरी और बेहतर भविष्य का वादा कर रहे हैं। लेकिन मंदिर की धुलाई ने उनकी इस यात्रा को एक अलग ही रूप दे दिया। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह घटना कन्हैया की यात्रा और उनकी राजनीतिक छवि पर किस तरह असर डालती है।