चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल आज होगा खत्म, जानें अब तक लिए गए सभी बड़े फैसले

Authored By: News Corridors Desk | 13 May 2025, 10:51 AM
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भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice of India - CJI) जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल मंगलवार को समाप्त हो गया। उनका कार्यकाल भले ही लगभग 7 महीनों का रहा, लेकिन उन्होंने इस अवधि में कई ऐतिहासिक और संवैधानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण फैसले दिए। 14 मई को जस्टिस बी.आर. गवई नए चीफ जस्टिस के रूप में शपथ लेंगे।

धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद पर महत्वपूर्ण फैसला

25 नवंबर 2024 को, जस्टिस खन्ना ने एक याचिका को खारिज कर दिया जिसमें संविधान की प्रस्तावना से 'सेक्युलर' और 'सोशलिस्ट' शब्द हटाने की मांग की गई थी। यह शब्द 1976 में आपातकाल के दौरान 42वें संशोधन के तहत जोड़े गए थे।

चीफ जस्टिस खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह स्पष्ट किया कि धर्मनिरपेक्षता संविधान की मूलभूत विशेषता है, और संसद को संविधान में संशोधन करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि यह शब्द समानता के अधिकार का विस्तार है और भारतीय संविधान की आत्मा में गहराई से निहित है।

मंदिर-मस्जिद विवादों में हस्तक्षेप और यथास्थिति का आदेश

नवंबर-दिसंबर 2024 के दौरान कुछ अदालतों ने मस्जिदों के सर्वेक्षण के आदेश दिए, जिससे देश में सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बन गई। इस पर चीफ जस्टिस खन्ना ने सख्त रुख अपनाया और आदेश दिया कि:

धार्मिक स्थलों के खिलाफ कोई नई याचिका दाखिल न हो।

निचली अदालतें सर्वे आदेश या अन्य अंतरिम/अंतिम आदेश न पारित करें।

यथास्थिति बहाल रखी जाए।

यह फैसला सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए निर्णायक साबित हुआ।

हाई कोर्ट जजों के विवाद और न्यायपालिका की साख की रक्षा

जस्टिस खन्ना के कार्यकाल में दो हाई कोर्ट जजों से संबंधित विवाद सामने आए:

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव द्वारा वीएचपी कार्यक्रम में कथित विवादित टिप्पणी।

जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर कथित नकदी बरामदगी।

इन मामलों में जस्टिस खन्ना ने त्वरित जांच समिति गठित की और पारदर्शिता सुनिश्चित की, जिससे न्यायपालिका की विश्वसनीयता बरकरार रही।

व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा में सक्रिय भूमिका

जस्टिस खन्ना ने कई फैसलों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को प्राथमिकता दी। उनके कुछ महत्वपूर्ण फैसले:

राधिका अग्रवाल बनाम जीएसटी विभाग: इस फैसले में उन्होंने जीएसटी और कस्टम एक्ट के तहत गिरफ्तारी प्रावधानों के दुरुपयोग को रोका।

सिविल मामलों में एफआईआर दर्ज करने की प्रवृत्ति पर रोक: उन्होंने यूपी पुलिस को चेतावनी दी कि सिविल विवादों को क्रिमिनल केस में न बदला जाए।

लोकतंत्र और पारदर्शिता को मजबूत करने वाले फैसले

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की निष्पक्षता पर उठे सवालों को खारिज कर शुचिता बनाए रखी।

अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को बरकरार रखने वाली बेंच का हिस्सा रहे।

इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित करने वाली बेंच में शामिल रहे, जिससे चुनावी पारदर्शिता को नया आयाम मिला।

जस्टिस एचआर खन्ना के भतीजे

जस्टिस संजीव खन्ना महान न्यायमूर्ति एचआर खन्ना के भतीजे हैं। जस्टिस एचआर खन्ना 1976 के एडीएम जबलपुर केस में आपातकाल के दौरान असहमति वाला ऐतिहासिक निर्णय देने के लिए प्रसिद्ध हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को आपातकाल में भी निलंबित नहीं किया जा सकता।

हालांकि, इस असहमति के कारण उन्हें चीफ जस्टिस नहीं बनाया गया और उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने उनके उस विचार को संवैधानिक रूप से सही करार दिया।