मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह एक बार फिर विवादों में हैं। इस बार मामला भारतीय सेना की महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई कथित आपत्तिजनक टिप्पणी से जुड़ा है। इस बयान के बाद से ही राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है और विपक्ष ने विजय शाह के इस्तीफे की मांग तेज कर दी है।
हाई कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, FIR दर्ज करने का आदेश
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए पुलिस को 4 घंटे के भीतर विजय शाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश के अनुसार पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए विजय शाह के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है।
मंत्री विजय शाह ने अब हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की है ताकि उन्हें इस कानूनी संकट से राहत मिल सके।
इस्तीफे पर सस्पेंस, भाजपा में मंथन जारी
FIR और विपक्ष के दबाव के बावजूद विजय शाह ने अब तक अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है। देर रात मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के बीच सीएम हाउस में इस मुद्दे पर अहम बैठक हुई। सूत्रों की मानें तो बैठक में इस्तीफा देने को लेकर कोई स्पष्ट सहमति नहीं बन पाई।
भाजपा नेतृत्व इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है। सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश भाजपा की ओर से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पूरी रिपोर्ट भेजी गई है। अब यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि राष्ट्रीय नेतृत्व के दबाव में विजय शाह जल्द ही इस्तीफा दे सकते हैं।
विपक्ष का तीखा हमला
सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती और भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने भी विजय शाह को पद से हटाने की मांग की है। विपक्ष का कहना है कि सेना और महिला अधिकारियों के सम्मान को लेकर सरकार को स्पष्ट और सख्त रुख अपनाना चाहिए।
गौरतलब है कि विजय शाह आठ बार के विधायक हैं और मध्य प्रदेश की 21% आबादी वाले आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस समुदाय में उनका मजबूत जनाधार है, जो भाजपा के लिए एक राजनीतिक चुनौती भी बन सकता है।