योगी सरकार के प्रयास से मातृ मृत्यु दर में आई जबरदस्त गिरावट

Authored By: News Corridors Desk | 15 May 2025, 08:41 PM
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उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने के लिये किए जा रहे प्रयासों का बेहद सकारात्मक परिणाम सामने आया है । मातृत्व स्वास्थ्य सेवाओं की बात करें तो राज्य में मातृ मृत्यु दर (एमएमआर) में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है ।  सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे 2019- 21 के अनुसार प्रदेश में मातृ मृत्यु दर 151 है जो कि 2018-20 में 167 थी ।  

इसके साथ ही नवजात मृत्यु दर (एनएनएमआर) में भी दो अंकों की और शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में एक अंक की कमी आई है । महापंजीयक द्वारा हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है । सैपंल रजिस्ट्रेशन सर्वे की यह रिपोर्ट प्रत्येक दो साल के अंतराल पर जारी की जाती है ।  कोरोना महामारी के व्यवधान के कारण वर्ष 2019-21 की रिपोर्ट 07 मई को जारी की गई है, जिसमें उत्तर प्रदेश के प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार हुआ है ।  

लिंगानुपात में वृद्धि, नवजात और शिशु मृत्यु दर में गिरावट

उत्तर प्रदेश में सीएम योगी के मार्गदर्शन में मातृ और शिशु स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार के लिये भी विशेष प्रयास किये जा रहे हैं । इसके चलते प्रदेश में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में भी उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है । महापंजीयन द्वारा जारी की गई सैंपल सर्वे 2019-21 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में नवजात मृत्य दर वर्ष 2020 में 28 से घटकर वर्ष 2021 में 26 रह गई है, जबकि शिशु मृत्यु दर वर्ष 2020 में 38 से घटकर वर्ष 2021 में 37 रह गई है ।  इसके अलावा प्रदेश का लिंगानुपात भी पहले से बढ़कर 912 हो गया है, जो  वर्ष 2020 में 908 था । 

जिंदगी देने के दौरान न जाए मां की जान - राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन निदेशक

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक डॉ पिंकी जोवेल ने कहा  कि, हमारी पूरी टीम ने स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच, गुणवत्ता और समयबद्धता सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास किए हैं । उन्होने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं, एएनएम  और चिकित्सा अधिकारियों ने ज़मीनी स्तर पर सेवाओं की पहुँच को बेहतर बनाने का कार्य किया है। 

डॉ पिंकी जोवेल ने कहा, 'हमारी कोशिश है कि कोई भी माँ ज़िंदगी देने के दौरान अपनी जान न गंवाए ।' मिशन निदेशक ने बताया कि एमएमआर, एनएनएमआर और आईएमआर में आई इस कमी में शुरुआती 1000 दिनों तक माँ और बच्चे की देखभाल की रणनीति कारगर साबित हुई है ।
 गर्भधारण करते ही गर्भवती का पंजीकरण कराकर कम से कम चार प्रसव पूर्व जांचें (एएनसी) सुनिश्चित करना,  उच्च जोखिम गर्भावस्था पहचान और प्रबन्धन करना जैसे प्रयासों का अच्छा नतीजा सामने आया है । 

इसके साथ ही प्रथम सन्दर्भन इकाई (एआरयू) को सुदृढ़ करते हुए चिकित्सकों को आकस्मिक प्रसूति देखभाल के लिए सीएमओसी और ईसीएमओसी  का प्रशिक्षण दिया गया है । गर्भावस्था, प्रसव और प्रसवोत्तर अवधि के दौरान होने वाली जटिलताओं का प्रबन्धन करने के लिए अस्पतालों में चौबीस घंटे की प्रसव सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है । विशेषज्ञ डॉक्टर, प्रशिक्षित स्टाफ, ब्लड स्टोरेज यूनिट, और ऑपरेशन थिएटर की सुविधाओं को मजबूत किया गया है।

स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच और गुणवत्ता में वृद्धि सुनिश्चित की गई 

मातृ मृत्यु दर में आई इस गिरावट के पीछे स्वाथ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की योजनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही है । इसके लिये अस्पतालों की सेवाओं को गुणवत्तापूर्ण तथा मरीजों के अनुभवों को बेहतर बनाने के लिए  राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक जैसे कार्यक्रमों पर जोर दिया गया । अस्पतालों को महिला स्वास्थ्य में बेहतर सेवाओं के लिए लक्ष्य तथा बाल स्वास्थ्य में बेहतर काम के लिए मुस्कान प्रमाणपत्र दिए जाते हैं ।

इसके अलावा 102 और 108 एंबुलेंस सेवाओं के रिस्पॉन्स टाइम को कम कर संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया गया है । नवजात एवं बाल स्वास्थ्य की सेवाओं को भी बेहतर किया जा रहा है और आगे भी किया जायेगा । इसके तहत नवजात में गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए सीएचसी और जिला अस्पतालों में  स्पेशल न्यूबोर्न केयर यूनिट स्थापित की गई हैं ।