अपने भव्य उद्घाटन की एक बोल्ड रीइमेजिनिंग में, इफ्फी-2025 ने पूरे गोवा शहर को एक विशाल, जीवंत कैनवास में बदल दिया—जहाँ सिनेमाई प्रतिभा सांस्कृतिक वैभव के साथ घुलमिल गई और कहानी सुनाने का चिरस्थायी जादू सड़कों पर नृत्य कर उठा। जैसे ही कलाकारों, परफॉर्मर्स और सिनेप्रेमियों ने शहर को ऊर्जा और मनोरंजन से भर दिया, गोवा रचनात्मकता के एक धड़कते हुए गलियारे में बदल गया।
महोत्सव का उद्घाटन करते हुए, गोवा के राज्यपाल पुसापति अशोक गजपति राजू ने इफ्फी के बढ़ते वैश्विक कद की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, "इफ्फी रचनात्मक आदान-प्रदान, नए सहयोग और सिनेमाई उत्कृष्टता के उत्सव के लिए एक सार्थक मंच बन गया है। गोवा के कॉस्मोपॉलिटन कैरेक्टर, सांस्कृतिक समृद्धि और ग्लोबल कनेक्टिविटी को देखते हुए, यह स्वाभाविक है कि फिल्म प्रेमी इतनी बड़ी संख्या में यहाँ एकत्र होते हैं।"
गोवा के मुख्यमंत्री डॉ. प्रमोद सावंत ने अपने संबोधन में गोवा के अंतरराष्ट्रीय फिल्म निर्माण गंतव्य के रूप में बढ़ते कद पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "गोवा विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे के साथ तैयार है और यही कारण है कि यह इफ्फी का स्थायी स्थान बन गया है। हमारी प्राकृतिक सुंदरता फिल्म निर्माताओं को आकर्षित करती है, लेकिन हमारे मजबूत नीतिगत सुधार ही उन्हें बार-बार यहां वापस लाते हैं।" उन्होंने कहा कि हमारा सपना गोवा को भारत की 'रचनात्मक राजधानी' बनाना है। गोवा आएं, अपनी कहानियाँ सुनाएं, अपनी फिल्में शूट करें।"
सभा को संबोधित करते हुए, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री, डॉ. एल. मुरुगन ने कहा कि इफ्फी हर संस्करण के साथ बेहतर होता जा रहा है। उन्होंने कहा, "पारंपरिक रूप से, महोत्सव की शुरुआत श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्टेडियम में हुआ करती थी। लेकिन इस साल, यह एक भव्य सांस्कृतिक कार्निवल के रूप में शुरू हुआ है, जो हमारे राज्यों की विविध परंपराओं को प्रदर्शित कर रहा है।"
इस मौके पर दिग्गज अभिनेता श्री नंदमुरी बालकृष्ण को सिनेमा में उनके 50 गौरवशाली वर्षों और तेलुगु सिनेमा को समृद्ध बनाने में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
उद्घाटन फिल्म
गैब्रियल मस्कारो की डायस्टोपियन कहानी 'द ब्लू ट्रेल' से 56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव (इफ्फी) में का आगाज हुआ। ओपनिंग फिल्म को बहुत पसंद किया गया, जिसने दर्शकों के बीच प्रशंसा और आश्चर्य दोनों को समान रूप से जगाया है।यह फिल्म अपनी मूल पुर्तगाली भाषा में 'ओ अल्टिमो अज़ुल' के नाम से जानी जाती है।
1952 में शुरू हुआ, भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) दक्षिण एशिया का सबसे पुराना और सबसे बड़ा सिनेमा सेलिब्रेशन है। भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएफडीसी) और गोवा राज्य सरकार की एंटरटेनमेंट सोसाइटी ऑफ गोवा (ईएसजी) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह महोत्सव एक वैश्विक सिनेमाई शक्ति केंद्र के रूप में विकसित हुआ है—जहाँ रिस्टोर की गई क्लासिक फिल्में बोल्ड एक्सपेरिमेंट से मिलती हैं और लेजेंडरी निर्माता पहली बार फिल्म बनाने वालों के साथ मंच साझा करते हैं।