मध्य पूर्व में ईरान और इजरायल के बीच गहराते टकराव के बीच अमेरिका ने भी अपनी सैन्य तैयारियों में जबरदस्त तेजी ला दी है। अब खबर है कि अमेरिका, ईरान के बेहद गुप्त और सुरक्षित न्यूक्लियर ठिकाने फोर्डो पर हमला करने की योजना बना रहा है — और इसके लिए उसका सबसे शक्तिशाली और खतरनाक हथियार B-2 स्टील्थ बॉम्बर तैयार है।
फोर्डो क्या है? और ये इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
फोर्डो न्यूक्लियर फैसिलिटी, ईरान के सबसे रहस्यमयी और रणनीतिक परमाणु संयंत्रों में से एक है। यह ठिकाना क़ोम शहर के पास एक पहाड़ी के अंदर, ज़मीन से करीब 300 फीट नीचे स्थित है। इसकी गहराई और संरचना इतनी मजबूत है कि इजरायल की पारंपरिक मिसाइलें इसे तबाह नहीं कर सकीं।
इसकी सुरक्षा के पीछे स्पष्ट कारण है — यहाँ ईरान यूरेनियम संवर्धन जैसे संवेदनशील परमाणु कार्यक्रमों को अंजाम देता है। अगर अमेरिका इस ठिकाने पर हमला करता है, तो यह ईरान की परमाणु क्षमता को झटका देने वाली बड़ी कार्रवाई मानी जाएगी।
अमेरिकी B-2 स्टील्थ बॉम्बर और "Massive Ordnance Penetrator" की भूमिका
B-2 स्टील्थ बॉम्बर को रडार से छिपकर गहरे दुश्मन क्षेत्र में हमला करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह अमेरिका का एक मात्र ऐसा बमवर्षक है जो GBU-57 Massive Ordnance Penetrator (MOP) जैसे विशाल बम ले जाने में सक्षम है। यह बम करीब 30,000 पाउंड (13,600 किलोग्राम) वजनी है और 200 फीट तक ज़मीन में घुसकर विस्फोट कर सकता है।
यह "बंकर बस्टर" बम विशेष रूप से मजबूत अंडरग्राउंड बंकरों और पहाड़ी ठिकानों को नष्ट करने के लिए बनाया गया है, जैसे कि फोर्डो।
ट्रंप का दावा: “हमारा ईरानी एयरस्पेस पर नियंत्रण है”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर सनसनीखेज दावा किया कि अमेरिका ने “ईरान के एयरस्पेस पर नियंत्रण” पा लिया है। इस बयान के बाद अटकलें तेज हो गई हैं कि अमेरिका जल्द ही फोर्डो जैसे ठिकानों को निशाना बना सकता है। हालांकि पेंटागन ने साफ किया कि अभी तक कोई अमेरिकी विमान ईरानी वायु क्षेत्र में दाखिल नहीं हुआ है और वर्तमान सैन्य कार्रवाइयां रक्षात्मक हैं।
मध्य पूर्व में अमेरिका की सैन्य तैनाती तेज़
अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने पुष्टि की है कि अतिरिक्त फाइटर जेट्स, रिफ्यूलिंग टैंकर और युद्धपोतों को रणनीतिक ठिकानों पर भेजा गया है। इस तैनाती का उद्देश्य “हमारे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना” बताया गया है।
दर्जनों F-16 फाइटर जेट्स को सऊदी अरब भेजा गया है
B-52 बॉम्बर्स को डिएगो गार्सिया में तैयार रखा गया है
B-2 स्टील्थ बॉम्बर अभी तैनात नहीं हैं, लेकिन “रणनीतिक विकल्प” के रूप में स्टैंडबाय पर हैं
USS Gerald R. Ford से लेकर Arleigh Burke तक: अमेरिका का समुद्री शक्ति प्रदर्शन
अमेरिका के युद्धपोत भी इस तनावपूर्ण परिस्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं:
USS Carl Vinson और उसका स्ट्राइक ग्रुप अरब सागर में तैनात
USS The Sullivans और USS Arleigh Burke जैसे विध्वंसक जहाज़ मिसाइल अवरोधन में सक्रिय
USS Nimitz और USS Gerald R. Ford को भी रणनीतिक रूप से तैयार किया गया है
Aurora Intel जैसे ओपन-सोर्स विश्लेषण समूहों के अनुसार अमेरिका ने यूरोप में भी ईंधन भरने वाले विमान और फाइटर जेट्स इंग्लैंड, जर्मनी, स्पेन और ग्रीस में तैनात किए हैं।
ज़मीनी सेना और नौसेना की संख्या में बढ़ोतरी
पिछले कुछ दिनों में अमेरिका ने ज़मीनी बलों की संख्या भी बढ़ा दी है। अब मध्य पूर्व में अमेरिकी सैनिकों की संख्या करीब 40,000 तक पहुंच चुकी है, जो पहले 30,000 के आसपास थी। कई सैनिक ठिकानों पर अलर्ट लेवल हाई है और कुछ पर तैनात परिवारों को स्वेच्छा से हटने की इजाज़त दे दी गई है।
क्या युद्ध और भी खतरनाक मोड़ ले सकता है?
अगर अमेरिका फोर्डो जैसी रणनीतिक न्यूक्लियर साइट पर हमला करता है, तो यह ईरान के लिए सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़ा सवाल होगा। ऐसे में ईरान का पलटवार तय माना जा रहा है, जिससे पूरा क्षेत्र भयानक युद्ध की आग में झुलस सकता है।
इस समय हालात विस्फोटक हैं। एक छोटी सी चिंगारी भी व्यापक युद्ध में बदल सकती है — और अगर ऐसा होता है, तो इसका असर केवल मध्य पूर्व ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया पर पड़ेगा।