भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। यह समारोह राष्ट्रपति भवन में हुआ, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और कई अन्य प्रमुख हस्तियां मौजूद थीं।
शपथ के बाद PM मोदी से मिलाया हाथ
शपथ लेने के बाद जस्टिस गवई ने सभी का अभिवादन किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाथ मिलाया। इसके बाद उन्होंने मंच से नीचे उतरकर अपनी मां कमलताई गवई के पैर छुए और आशीर्वाद लिया। यह दृश्य न केवल भावनात्मक था, बल्कि उनके पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों को भी दर्शाता है।
भारत के पहले बौद्ध CJI, दलित समुदाय से दूसरे
जस्टिस गवई भारत के पहले बौद्ध समुदाय से आने वाले मुख्य न्यायाधीश हैं। साथ ही वे स्वतंत्र भारत के इतिहास में दलित समुदाय से दूसरे CJI बने हैं। इससे पहले के.जी. बालकृष्णन को यह सम्मान प्राप्त था। इस नियुक्ति को सामाजिक समावेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
जस्टिस गवई का कार्यकाल केवल छह महीनों का होगा, लेकिन उनकी न्यायिक दृष्टि और अनुभव को देखते हुए यह अवधि भी काफी प्रभावशाली मानी जा रही है। वे 24 नवंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।
महत्वपूर्ण फैसलों में निभाई अहम भूमिका
मुख्य न्यायाधीश बनने से पहले, जस्टिस गवई कई बड़े और संवेदनशील मामलों में अहम भूमिका निभा चुके हैं। उनके प्रमुख निर्णयों में शामिल हैं:
बुलडोजर जस्टिस मामलों पर सख्त रुख
अनुच्छेद 370 को हटाने को संवैधानिक करार देना
नोटबंदी को वैध ठहराना
अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण को मंजूरी
दिल्ली शराब नीति में के. कविता को जमानत
तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी की दो बार आलोचना
जस्टिस गवई का जीवन परिचय और करियर यात्रा
जन्म: 24 नवंबर 1960, अमरावती, महाराष्ट्र
वकालत की शुरुआत: 16 मार्च 1985
प्रारंभिक सहयोग: पूर्व महाधिवक्ता राजा एस. भोसले के साथ कार्य
स्वतंत्र प्रैक्टिस: 1987 से बॉम्बे हाई कोर्ट में
मुख्य कार्यक्षेत्र: नागपुर बेंच में संवैधानिक और प्रशासनिक कानून
क्लाइंट्स: नागपुर नगर निगम, अमरावती विश्वविद्यालय, सीकोम, डीसीवीएल आदि
स्थायी वकील: कई नगर परिषदों और स्वायत्त संस्थाओं के लिए