तमिलनाडु की राजनीति और समाज को झकझोर देने वाले घृणित अपराध में आखिरकार इंसाफ हुआ। दरअसल महिला अदालत ने नौ आरोपियों को दोषी करार देते हुए कड़ी सजा सुनाई।
कोयंबटूर महिला कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
कोयंबटूर स्थित विशेष महिला अदालत ने मंगलवार को बहुचर्चित पोलाची दुष्कर्म कांड में नौ आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत की जज आर. नंदिनी देवी ने सभी दोषियों को पीड़ितों को कुल 85 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है। यह मुआवजा उन आठ बहादुर महिलाओं को मिलेगा, जिन्होंने अदालत में सामने आकर आरोपियों के खिलाफ गवाही दी।
तीन साल में 50 से अधिक महिलाओं का शोषण
इन अपराधियों ने वर्ष 2016 से 2018 के बीच 50 से अधिक महिलाओं को अपना शिकार बनाया। इनमें ज्यादातर कॉलेज छात्राएं थीं। आरोपियों ने पहले दोस्ती का नाटक किया, फिर वीडियो बनाकर महिलाओं को ब्लैकमेल किया और उनका यौन शोषण किया। कई मामलों में सामूहिक दुष्कर्म की घटनाएं सामने आईं।
2019 में दर्ज हुई थी पहली एफआईआर
इस मामले की शुरुआत फरवरी 2019 में हुई जब एक 19 वर्षीय छात्रा ने शिकायत दर्ज कराई। उसने बताया कि 12 फरवरी को पोलाची के पास चार लोगों ने चलती कार में उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया और फिर धमकी देकर दोबारा संबंध बनाने का दबाव डाला।
इस मामले में सबरीराजन, थिरुनावुकारसु, टी. वसंत कुमार, एम. सतीश, आर. मणि, पी. बाबू, एच. पॉल, अरुलानंथम और अरुण कुमार को गिरफ्तार किया गया। सभी आरोपी तब से सलेम सेंट्रल जेल में बंद हैं। अरुलानंथम अन्नाद्रमुक का पूर्व पदाधिकारी था, जिसे बाद में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।
तीन एजेंसियों ने की जांच, CBI ने पेश किया चार्जशीट
पहले पुलिस ने जांच शुरू की, जिसमें आरोपियों के मोबाइल और लैपटॉप से कई आपत्तिजनक वीडियो मिले। बाद में मामला सीआईडी को सौंपा गया, लेकिन जनआक्रोश को देखते हुए इसे सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने सभी सबूतों के आधार पर चार्जशीट दाखिल की, जिससे अदालत को दोषियों को सजा देने में मदद मिली।