पंबन ब्रिज: आस्था और आर्थिक तरक्की का नया पुल

Authored By: News Corridors Desk | 06 Apr 2025, 04:53 PM
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जब हिंद महासागर की लहरें सुबह की पहली किरणों से मिलती हैं, तब रामेश्वरम जागता है। आस्था, परंपरा और अब — विकास की नई रफ्तार के साथ यहां एक नई इबारत लिखी जा रही है। भारत के चार धामों में एक — रामेश्वरम्, जहां भगवान श्रीराम ने लंका जाने से पहले भगवान शिव की स्थापना की वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने पंबन ब्रिज का उद्धाटन किया।

 रामनवमी के दिन देश को सौंपा गय पंबन ब्रिज। सिर्फ  ज़मीन के दो हिस्सों को नहीं जोड़ता.. बल्कि आस्था, विश्वास और भविष्य की उम्मीदों को जोड़ता है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने तमिलनाडु में एक नए सांस्कृतिक उत्थान का जयघोष किया।

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रामेश्वरम् में हर साल लाखों श्रद्धालु भगवान रामनाथस्वामी के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। रामेश्वरम में पीएम मोदी का लोगों ने दिल खोलकर स्वागत किया। पीएम मोदी ने भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट रेलवे समुद्री पुल की सौग़ात दी और इंजीनियर्स-वर्कर्स को इस नायाब पंबन ब्रिज के लिए बधाई दी।


पंबन ब्रिज सिर्फ इंजीनियरिंग का चमत्कार नहीं है, ये उस सपने का सच होना है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 में काशी तमिल संगमम के जरिए देखा था। काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर, अयोध्या में राम मंदिर, और अब रामेश्वरम् में पंबन ब्रिज। मोदी सरकार की आस्था के धागों से बुनी हुई विकास यात्रा की मिसाल है।

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जहां श्रीराम ने लंका विजय की शपथ ली थी, वहीं से भारत ने विकास की एक नई यात्रा शुरू की है। रामेश्वरम् की पुण्य भूमि पर बना यह नया पंबन ब्रिज, आस्था और तकनीक का अद्भुत संगम है। 


पंबन ब्रिज भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेलवे ब्रिज है। पंबन ब्रिज की लंबाई करीब 2.08 किलोमीटर है। समुद्र तल से क़रीब 22 मीटर ऊंचा है पंबन पुल। इस ब्रिज को 72.5 मीटर वर्टिकल लिफ्ट किया जा सकता है। इसकी लागत क़रीब 535 करोड़ रुपये है। इस पुल से ट्रेन 98 किलो मीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से गुजर सकती है।

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 पॉलीसिलोक्सेन पेंट इस्तेमाल किया गया है, 35 वर्षों तक पेंटिंग की जरूरत नहीं। 100 साल से ज्यादा चलेगा ब्रिज, रखरखाव की जरूरत कम होगी। 

यह पुल अपनी अनूठी संरचना के कारण खास है, क्योंकि इसमें ऊपर से ट्रेनें दौड़ेंगी और नीचे से समुद्री पोत गुजरेंगे। यह पुल 110 साल पुराने पंबन ब्रिज की जगह ऑपरेशनल हो गया है।  नया पंबन ब्रिज भारी ट्रेनों के आवागमन और समुद्री पोतों की आसान आवाजाही को ध्यान में रखकर बनाया गया है।

 रामेश्वरम् की लहरों पर अब सिर्फ लंगर नहीं, उम्मीदों की पतवार भी है। पंबन पुल न सिर्फ धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगा, बल्कि माल ढुलाई, मछुआरा समुदाय के कारोबार और व्यापारिक गतिविधियों को नई रफ्तार देगा।


पंबन ब्रिज विश्वास, विकास और भारत के उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक है। हर साल रामनाथस्वामी मंदिर आने वाले 25 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के लिए ये एक बड़ी सौग़ात है।

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इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने रामेश्वरम तांबरम नई ट्रेन सेवा की शुरुआत की। इस मौक़े पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ ही मंच पर तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि, मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव समेत कई हस्तियाँ मौजूद रहीं। पंबन ब्रिज से जब ये ट्रेन गुजरी तो लोगों का रोमांच अपने चरम पर नज़र आया।  पहले जहां एक ट्रेन को पुल पार करने में 20-25 मिनट लगते थे, अब यह सफर चंद मिनटों में होगा। 

यही है प्रधानमंत्री मोदी का ‘वन इंडिया’ विज़न – जहां विकास का सेतु राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्र को जोड़ता है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने तमिलनाडु  कई अन्य रेल और  परियोजनाओं को भी राष्ट्र को समर्पित किया।


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₹8500 करोड़ की परियोजनाओं का राष्ट्र को समर्पण एवं शिलान्यास

विलुप्पुरम-पुडुचेरी खंड (NH-332) का चार लेन चौड़ीकरण 

पूंडीयानकुप्पम-सत्तानायपुख्म खंड (NH-32) का चार लेन चीड़ीकरण

चोलापुरम-तंजावुर खंड (NH-36) का चार लेन चौड़ीकरण

वालाजापेद/रानीपेट-तमिलनाडु/आंध्र प्रदेश सीमा खंड के एनएच-40 का चार लेन चौड़ीकरण

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2025 की रामनवमी उत्तर और दक्षिण के बीच एक सांस्कृतिक सेतु बनाने वाली तारीख़ बन गई। जिस वक़्त अयोध्या में भगवान राम का सूर्यतिलक हो रहा था, उसी वक़्त तमिलनाडु के रामेश्वरम में पीएम मोदी विकास और रफ़्तार के सूर्योदय वाली सौग़ात दे रहे थे।