गलवान में टकराव के बाद पहली बार चीन जाएंगे पीएम मोदी, SCO की बैठक में होंगे शामिल

Authored By: News Corridors Desk | 06 Aug 2025, 07:40 PM
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टैरिफ के मुद्दे पर अमेरिका के साथ लगातार चल रहे तनातनी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन की यात्रा पर जाएंगे । महीने के आखिर में होने वाली उनकी इस यात्रा पर दुनिया भर की नजरें टिकी हैं । प्रधानमंत्री मोदी वहां शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में भाग लेने जाएंगे । उनकी यह यात्रा इसलिए भी खास है क्योंकि गलवान संघर्ष के बाद वह पहली बार चीन जाएंगे । 
प्रधानमंत्री पहले 30 अगस्त को जापान जाएंगे और उसके बाद 31 अगस्त को चीन पहुंचेंगे । 

भारत-जापान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे

जापान में प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा से होगी । वे भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जहां दोनों देशों के बीच रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी साझेदारी को और मजबूत करने पर चर्चा होगी।

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में नई ‘शिंकानसेन E10’ तकनीक को शामिल करने, रक्षा सहयोग, समुद्री सुरक्षा और इंडो-पैसिफिक रणनीति पर समन्वय के अलावा, ग्रीन एनर्जी, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और सेमीकंडक्टर निर्माण जैसे क्षेत्रों में निवेश को लेकर भी अहम बातचीत होगी । भारत में जापानी कंपनियों के निवेश को और बढ़ावा देने पर भी ज़ोर दिया जाएगा ।

31 अगस्त को चीन के तियानजिन में SCO समिट

जापान यात्रा के अगले ही दिन यानि 31 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी चीन के तियानजिन शहर पहुंचेंगे । वहां वे 1 सितंबर तक चलने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भाग लेंगे । इस सम्मेलन में सदस्य देशों के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, व्यापार और सहयोग के मुद्दों पर चर्चा होगी । इसके साथ ही साथ ही भारत-चीन संबंधों में स्थिरता और संवाद की बहाली की कोशिश भी इस यात्रा का अहम मकसद रहेगा।

पुतिन और जिनपिंग से हो सकती है अनौपचारिक मुलाकात

SCO सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अनौपचारिक मुलाकात की संभावना भी जताई जा रही है। इससे पहले अक्टूबर 2024 में रूस के कजान शहर में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात हुई थी । इसके बाद बाद भारत और चीन ने देपसांग और डेमचोक इलाकों से सैनिकों को हटाने की घोषणा की थी । 

जियो पॉलिटिक्स के कई जानकारों का मानना है कि तीनों नेताओं की मुलाकात का असर न सिर्फ भारत-चीन और भारत-रूस संबंधों पर पड़ेगा, बल्कि इसका पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका और यूरोपीय यूनियन की नीतियों पर पड़ सकता है । खासकर अमेरिका ने जिस तरह से तमाम देशों के खिलाफ टैरिफ वॉर छेड़ रखा है , उसके बाद नए भू-राजनैतिक समीकरणों के उभरने के संकेत मिल रहे हैं । यही वजह है कि दुनिया भर की नजरें इस समिट पर टिकी हैं । 

विदेश और रक्षा मंत्री पहले ही कर चुके हैं चीन यात्रा

प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी चीन की यात्रा कर चुके हैं। राजनाथ सिंह ने जून में चीन में आयोजित SCO समिट में हिस्सा लिया था । उस दौरान उन्होंने ड्राफ्ट स्टेटमेंट में पहलगाम आतंकी हमले का ज़िक्र न होने पर दस्तखत करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि SCO की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ने के लिए की गई थी, और इस दिशा में संगठन को कोई समझौतावादी रुख नहीं अपनाना चाहिए ।