संसद में बिलों पर बवाल : विपक्षी सांसदों ने फाड़ी बिल की कॉपी, शाह की ओर फेंके कागज

Authored By: News Corridors Desk | 20 Aug 2025, 04:42 PM
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दिल्ली: बुधवार को लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जैसे ही तीन विधेयक पेश किए, सदन में हंगामा शुरू हो गया । विपक्षी सांसद न सिर्फ वेल में आकर नारेबाजी करने लगे बल्कि कई सांसदों ने बिल की प्रतियां भी फाड़ डाली । कुछ सांसद तो बिल की प्रति को फाड़कर अमित शाह की ओर उछालते हुए भी दिखे ।

इन बिलों में प्रावधान हैं कि अगर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के मंत्री ऐसे गंभीर अपराधों में गिरफ्तार किए जाते हैं, जिनमें कम से कम 5 साल की जेल हो सकती है और उन्हें लगातार 30 दिन हिरासत में रखा जाता है तो 31वें दिन वे अपने पद से स्वत:हटे हुए माने जाएंगे।

हंगामे की वजह से स्थगित करनी पड़ी सदन की कार्यवाही

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025, केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 को लोकसभा के पटल पर रखा । जैसे ही विधेयक पेश करने की प्रक्रिया शुरू हुई, विपक्षी सांसदों ने जोरदार विरोध जताना शुरू कर दिया।

टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने सबसे पहले वेल में उतरकर नारेबाजी शुरू की। उनके बाद कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद और महासचिव केसी वेणुगोपाल ने अपनी सीट से विधेयक की कॉपी फाड़कर वेल में फेंक दी। जल्द ही कांग्रेस के अन्य सांसद भी विरोध जताते हुए वेल में पहुंच गए।

हंगामा यहीं नहीं रुका। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद धर्मेंद्र यादव ने भी बिल की कॉपी फाड़ी और उनकी पार्टी के सदस्य भी विरोध में वेल में आ गए । विरोध कर रहे सांसदों ने न केवल नारेबाजी की बल्कि कुछ ने अमित शाह की ओर कागज़ के टुकड़े भी फेंके। इस दौरान कुछ सांसदों ने गृह मंत्री का माइक मोड़ने की भी कोशिश की, जिससे सदन का माहौल और अधिक अशांत हो गया। 

हालात को देखते हुए सत्ता पक्ष के सांसद रवनीत बिट्टू,कमलेश पासवान, किरेन रिजिजू और सतीश गौतम आगे आकर सुरक्षा के लिए अमित शाह के पास खड़े हो गए । आखिरकार लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि राजनीति में नैतिकता ज़रूरी है और इसी उद्देश्य से ये विधेयक लाए गए हैं। 

विपक्ष हमें नैतिकता का पाठ न पढ़ाए- अमित शाह

बिल पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि, यह कदम राजनीति में नैतिकता और शुचिता को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है । उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस विधेयक को 21 सदस्यों वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजना चाहती है । परन्तु विपक्ष ने इस प्रस्ताव पर भी सहमति नहीं जताई। हालांकि बाद में ध्वनिमत से प्रस्ताव पास हो गया और बिल को चर्चा के लिए जेपीसी के पास भेजा गया है। 

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि जब अमित शाह को गिरफ्तार किया गया था तो क्या उन्होंने अपनी नैतिकता दिखाई थी? इसपर जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि, 'जब मैं झूठे केस में जेल गया था, तो नैतिकता के आधार पर खुद ही पद से इस्तीफा दे दिया था। जब तक कोर्ट ने मुझे निर्दोष नहीं ठहराया, तब तक मैंने कोई संवैधानिक पद नहीं संभाला । विपक्ष हमें नैतिकता का पाठ न पढ़ाए।'

विपक्ष क्यों कर रहा है विधेयकों का विरोध ?

विपक्षी पार्टियों ने बिल को संविधान और संघीय ढांचे के खिलाफ बताते भाजपा पर देश को पुलिस राज्य में बदलने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा कि, अगर कल को किसी मुख्यमंत्री पर झूठा मुकदमा दर्ज कर उसे तीस दिन तक जले में रखा जाए, तो वह अपने आप पद से हट जाएगा। यह पूरी तरह से अलोकतांत्रिक है। 

कांग्रेस नेता के सी वेणुगोपाल ने कहा कि हम इस बिल का विरोध करते हैं । उन्होंने आरोप लगाया कि ये बिल विपक्ष को डराने और विपक्षी दलों की राज्य सरकारों को निशाना बनाने के लिए लाया जा रहा है ।  कांग्रेस के सांसद मनीष तिवारी ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि भारत का संविधान का मूल ढांचा कहता है कि कानून का राज होना चाहिए । कानून के राज की बुनियाद है कि आप बेगुनाह हैं, जब तक आपका गुनाह साबित नहीं होता, आप बेगुनाह हैं । 

एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी ये कहते हुए खुलकर विरोध किया कि ये बिल कहीं से भी सही नहीं है । उन्होंने पूछा कि,प्रधानमंत्री को कौन गिरफ्तार करेगा?वहीं तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि सरकार बिना किसी जवाबदेही के सत्ता, पैसा और नियंत्रण चाहती है।