आपातकाल की 50वीं बरसी: 'संविधान हत्या दिवस' मना रही BJP

Authored By: News Corridors Desk | 25 Jun 2025, 10:42 AM
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25 जून 2025 को भारत में आपातकाल की 50वीं बरसी मनाई जा रही है। इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) इसे 'संविधान हत्या दिवस' के रूप में मना रही है। इसका उद्देश्य जनता को 1975 में लगाए गए आपातकाल के प्रभाव और लोकतंत्र पर हुए प्रहार की जानकारी देना है। केंद्र और राज्य स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।

त्यागराज स्टेडियम में 'संविधान हत्या दिवस' कार्यक्रम

दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में इस अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है, जिसका शीर्षक है – "संविधान हत्या दिवस 2025 – स्वतंत्रता के इतिहास का एक काला अध्याय"। इस कार्यक्रम में प्रमुख केंद्रीय मंत्री भाग लेंगे:

गृह मंत्री अमित शाह

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव

संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत

कार्यक्रम का आयोजन संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है। इस मंच से नई पीढ़ी को बताया जाएगा कि कैसे 1975 में जनता के अधिकारों को दबाया गया, प्रेस की आजादी छीनी गई और लाखों नागरिकों को जेलों में बंद कर दिया गया।

कनॉट प्लेस में इमरजेंसी पर प्रदर्शनी

दिल्ली के कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक एक विशेष प्रदर्शनी लगाई जा रही है, जो आपातकाल के विभिन्न पहलुओं को उजागर करेगी:

मीसा बंदियों के संघर्षों को दिखाया जाएगा

उस दौर के समाचार, तस्वीरें और दस्तावेजों को प्रदर्शित किया जाएगा

जनता को प्रेस सेंसरशिप, नेताओं की गिरफ्तारी और नागरिक अधिकारों पर हुए हमले की जानकारी दी जाएगी

यूपी में राज्यव्यापी आयोजन

उत्तर प्रदेश में भी इमरजेंसी की 50वीं बरसी पर बड़े पैमाने पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इन आयोजनों का उद्देश्य लोकतंत्र पर पड़े संकट को उजागर करना और युवा पीढ़ी को जागरूक करना है।

प्रमुख कार्यक्रम इस प्रकार हैं:

सीएम योगी आदित्यनाथ लखनऊ में कार्यक्रम को संबोधित करेंगे

भूपेंद्र चौधरी, यूपी बीजेपी अध्यक्ष मुरादाबाद में शामिल होंगे

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य प्रतापगढ़ में और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक बाराबंकी में कार्यक्रमों में शिरकत करेंगे

बीजेपी कार्यकर्ता व नेता स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थलों पर पहुंचकर संवाद करेंगे

25 जून 1975: जब लोकतंत्र पर लगा पहरा

25 जून 1975 की रात तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी। तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने आपातकाल की उद्घोषणा पर हस्ताक्षर किए, जिसे बाद में केंद्रीय कैबिनेट ने अनुमोदित किया।

इस दौरान:

हजारों विपक्षी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए

प्रेस की स्वतंत्रता को समाप्त कर दिया गया

संविधान के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए

आपातकाल कुल 21 महीने तक चला और इसे स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे काला दौर माना जाता है।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस मौके पर कांग्रेस और राहुल गांधी पर परोक्ष हमला बोला। उन्होंने कहा:"जो लोग आज संविधान की प्रति लेकर घूमते हैं, उन्हें 25 जून को पश्चाताप करना चाहिए। कांग्रेस ने हठधर्मी निर्णय लेकर संविधान को तार-तार किया। जबकि बीजेपी आज संविधान और लोकतंत्र की रक्षा में पूरी तरह समर्पित है।"