पेंटागन ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह से तबाह करने के दावे को किया खारिज तो भड़के ट्रंप

Authored By: News Corridors Desk | 25 Jun 2025, 03:39 PM
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ईरान के परमाणु ठिकानों पर हाल के अमेरिकी हमले के परिणाम को लेकर अब वहां ही असहमति के स्वर उभरने लगे हैं । पेंटागन की शुरुआती खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि यह हमला ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह खत्म करने में असफल रहा ।  वहीं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह से गलत बताते हुए खारिज कर दिया है । 

पेंटागन की रिपोर्ट: अमेरिकी हमले का सीमित असर

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय पेंटागन की खुफिया एजेंसी डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी (DIA) द्वारा तैयार की गई प्रारंभिक रिपोर्ट कहती है कि, अमेरिका द्वारा ईरान के फोर्डो, नतानज और इस्फहान स्थित परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों से ईरान का परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से तबाह नहीं हुआ है । 

हमलों के बावजूद ईरान के समृद्ध यूरेनियम भंडार को नष्ट नहीं किया जा सका । रिपोर्ट के मुताबिक, हमले से बस इतना हुआ कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम पर फिलहाल ब्रेक लग लगया है और वह कुछ महीनों के लिए पीछे भर चला गया है । 

डोनाल्ड ट्रंप ने पेंटागन की रिपोर्ट को खारिज किया 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस रिपोर्ट से पूरी तरह खारिज कर दिया है । उनका दावा है कि अमेरिका ने ईरान की यूरेनियम संवर्धन (एनरिचमेंट) सुविधाओं को पूरी तरह नष्ट कर दिया है । व्हाइट हाउस ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह से ग़लत बताते हुए इसे राष्ट्रपति ट्रंप को नीचा दिखाने का एक प्रयास कहा है । 

डोनाल्ड ट्रंप ने कांग्रेस को लिखे एक पत्र में कहा कि,हमारी सेना ने तीन महत्वपूर्ण परमाणु ठिकानों को सटीकता से निशाना बनाया और उन्हें पूरी तरह नष्ट कर दिया। 

क्या ट्रंप ने खुफिया एजेंसियों की राय को नजरअंदाज किया ?

ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले को लेकर अमेरिका और दुनिया में कई तरह से सवाल उठाए जा रहे हैं । उनमें से एक अहम सवाल यह भी है कि क्या राष्ट्रपति ट्रंप ने खुफिया एजेंसियों की सलाह के खिलाफ जाकर यह हमले का फैसला लिया ? 


इस सवाल के उठने की वजह मार्च में आई अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक की रिपोर्ट का हवाला भी दिया जा रहा है जिसमें कहा गया था कि ईरान ने परमाणु हथियार निर्माण कार्यक्रम को 2003 में रोक दिया था और उसके बाद उसे दोबारा शुरू करने का कोई प्रमाण नहीं है ।

इन सबके बीच ईरान बार-बार कहता रहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल ऊर्जा और चिकित्सा जैसे शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, न कि हथियार निर्माण के लिए।

ईरान पर अमेरिकी हमले का रणनीतिक असर चाहे जो भी हो, लेकिन इसको लेकर उपजे राजनीतिक मतभेदों और आरोप-प्रत्यारोपों ने साफ कर दिया है कि अमेरिका के भीतर ही विदेश नीति और सुरक्षा मामलों को लेकर एक राय नहीं है । पेंटागन की रिपोर्ट और डोनाल्ड ट्रंप का दावा इस मतभेद को स्पष्ट रुप से उजागर करता है।