चैत्र नवरात्र की ठीक से शुरूआत भी नहीं हुई की बड़ा बवाल पहले से ही शुरू हो गया.बता दें की चैत्र नवरात्रि के पर्व को लेकर योगी सरकार का आदेश है. चैत्र नवरात्रि के मद्देनजर सरकार ने राज्य में अवैध बूचड़खानों पर सख्ती करने का आदेश दिया है. धार्मिक स्थलों के 500 मीटर के दायरे में मांस की बिक्री पर भी रोक लगा दी है.यह रोक 6 अप्रैल तक रहेगी, जो कि नवरात्रि का आखिरी दिन है.बता दें की ये आदेश नया नहीं है. इससे पहले भी 2017 में ऐसे आदेश जारी किए गए थे और रामनवमी के समय ऐसी मांगे हर साल उठती रहती है.
नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने सभी जिलाधिकारियों, पुलिस आयुक्तों और नगर आयुक्तों को बूचड़खानों को तत्काल बंद करने और धार्मिक स्थलों के पास मांस बिक्री पर प्रतिबंध लागू करने के निर्देश दिए हैं.... आपको बता दें की इससे पहले भी ऐसे आदेश दिए गए थे.इससे पहले 2017 में जारी आदेशों का हवाला देते हुए स्पष्ट किया है कि अवैध पशु वध और धार्मिक स्थलों के पास मांस बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित होगी. अब सवाल उठता है कि इस फैसले की जरूरत क्यों पड़ी? और यह कितना प्रभावी होगा?विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला धार्मिक आस्था को ध्यान में रखते हुए लिया गया है.

नवरात्रि के दौरान बड़ी संख्या में लोग व्रत रखते हैं और मांसाहार से परहेज करते हैं.इसी को देखते हुए योगी सरकार ने यह कदम उठाया है.लेकिन इस फैसले पर सियासत भी गर्मा गई है.जहां एक तरफ हिंदू संगठनों ने योगी सरकार के इस फैसले का समर्थन किया है, वहीं मांस कारोबार से जुड़े कुछ लोग इसे आर्थिक नुकसान का कारण बता रहे हैं.कई मांस विक्रेताओं का कहना है कि हर साल ऐसे आदेश से उनकी आजीविका पर असर पड़ता है.बता दें की योगी सरकार के नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने सभी जिलाधिकारियों, पुलिस आयुक्तों और नगर आयुक्तों को बूचड़खानों को तत्काल बंद करने और धार्मिक स्थलों के पास मांस बिक्री पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए हैं। आदेश के मुताबिक:
- धार्मिक स्थलों के 500 मीटर के दायरे में मांस, मछली की कोई दुकान नहीं रहेगी.
- इस परिधि के बाहर भी मांस बिक्री केवल लाइसेंसशुदा दुकानों में ही होगी.
- कोई भी मांस खुले में नहीं बेचा जाएगा.
- रामनवमी के दिन पूरे राज्य में मांस की दुकानें बंद रहेंगी.
आपको बता दें सिर्फ यूपी ही नहीं दिल्ली से लेकर वाराणसी , मुंबई हर जगह मीट बैन की बात हो रही है और इस बात से मौलानाओं के साथ कुछ कुछ विपक्ष के नेताओ को भी मिर्ची लग रही है और वो इस बात को विरोध भी कर रहें हैं.