बीजेपी का साथ छोड़ेंगे जयंत चौधरी ? सता रहा 'जेएम' समीकरण टूटने का डर ?

Authored By: News Corridors Desk | 29 Mar 2025, 06:06 PM
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राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख और मोदी सरकार में मंत्री जयंत चौधरी को क्या कोई डर सता रहा है? क्या जयंत चौधरी को एनडीए के साथ जुड़ने का फैसला अब गलत लगने लगा है?  जिस तरह से वह यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं, उससे सवाल उठ रहा है  कि उत्तर प्रदेश में ऐसा क्या हो रहा है कि जयंत चौधरी का मन फिर बदलने लगा है?  दरअसल जयंत चौधरी इन दिनों उत्तर प्रदेश पुलिस के एक आदेश से बेहद नाराज दिख रहे हैं और वह खुलकर इसका इजहार भी कर रहे हैं । 

यूपी पुलिस पर जयंत ने क्यों उठाए सवाल?

जयंत चौधरी का एक सोशल मीडिया पोस्ट चर्चा में बना हुआ है । इसमें जयंत चौधरी ने सीधे शब्दों में यूपी पुलिस के हाल में लिए गए फैसलों पर कटाक्ष किया है । एक्स पर अपने पोस्ट में उन्होने सड़क पर नमाज पढ़ते हुए लोगों की तस्वीर साझा कर लिखा - 'पुलिसिंग टूवर्ड्स ऑरवेलियन 1984' । 

दरअसल ब्रिटिश लेखक-उपन्यासकार  जॉर्ज ऑरवेल ने अपने उपन्यास '1984' में एक निरंकुश सरकार और उसकी पुलिस के बारे में बताया है । उन्होने लिखा है कि निरंकुश सरकार अपनी पुलिस के जरिए लोगों के हर गतिविधि पर नजर रखती है और उनकी स्वतंत्रता को सीमित करने की कोशिश रखती है । 

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जयंत के बयान के मायने क्या हैं?

जयंत चौधरी ने अपने पोस्ट के जरिए हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश की पुलिस की कार्यशैली और उसके कुछ फैसलों पर सवाल उठाया है । खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में  पुलिस के अधिकारियों के जिस तरह बयान आए हैं उससे एक वर्ग खुश नहीं है ।  जयंत चौधरी ने जो ट्वीट किया उसका अर्थ है कि , सरकार लोगों के जीवन के हर हिस्से को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है । 

दरअसल मेरठ पुलिस ने ईद की नमाज सड़क पर पढ़ने पर प्रतिबंध लगाया है । साथ ही ये भी कह दिया है कि सड़क पर नमाज पढ़ी तो क्रिमिनल केस दर्ज किया जाएगा जिसका असर पासपोर्ट पर भी होगा और ड्राइविंग लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है । 

जयंत को एमजे समीकरण टूटने का डर?

जयंत चौधरी और उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल जाटों की राजनीति करती रही है । परन्तु पश्चिमी यूपी में सिर्फ जाटों की राजनीति से काम नहीं चलता इसलिए पार्टी जाट वोटर्स के साथ ही मुस्लिम वोटर्स को भी नाराज करना नहीं चाहती है ।

जयंत चौधरी की आरएलडी ने 2009 में 5 लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी ,लेकिन 2014 में पार्टी को एक भी लोकसभा सीट पर जीत नहीं मिली । 2019 में भी आरएलडी को किसी लोकसभा सीट पर जीत नहीं मिल पाई । 

लगातार दो लोकसभा चुनावों में शून्य पर सिमटने वाली आरएलडी ने 2022 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया और विधानसभा चुनाव में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की । 

2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में आरएलडी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली थी । 2022 में अखिलेश से गठबंधन के बाद आरएलडी को यूपी में 8 सीटों पर जीत मिली
2024 से पहले जयंत चौधरी ने बीजेपी से गठबंधन किया और आरएलडी को दो सीटों पर जीत मिली ।  ये दो सीटें थी बिजनौर और बागपत । 


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2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद आरएलडी से जाट और मुस्लिम दोनों ही वोटर्स नाराज हुए । यही कारण रहा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में अजित सिंह और जयंत चौधरी दोनों ही चुनाव हारे । 

भरोसे की कमी का असर 2017 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी दिखा । 2022 में समाजवादी पार्टी से गठबंधन के बाद मुस्लिम वोटर्स का भरोसा आरएलडी पर बना है जो 2024 में भी कायम तो दिखा, लेकिन जिस तरह मेरठ पुलिस का बयान आया और उससे पहले सम्भल पुलिस के ईद और होली पर बयान आए उसके बाद जयंत चौधरी की चिंता बढ़ गई । अब वो मुस्लिम वोटर्स का भरोसा बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं । 

2027 में फिर समाजवादी पार्टी से जुड़ेंगे जयंत?

जयंत चौधरी समाजवादी पार्टी की मदद से ही 2022 में राज्यसभा पहुंचे । अब जिस तरह योगी राज में पुलिस के बयान आए हैं और जयंत चौधरी ने जिस तरह ट्वीट कर उस बयान का विरोध किया है , उससे लग रहा है कि अब वह एनडीए के साथ असहज महसूस कर रहे हैं ।